रामायण में ऐसा लिखा हुआ है कि माता सीता रावण की बेटी थी। और अपनी बेटी पर गलत दृष्टि डालने की वजह से रावण के जीवन का अंत हुआ। ज्योतिष विशेषज्ञ डॉक्टर राधाकांत वत्स ने बताई यह कहानी। ज्योतिष विशेषज्ञ डॉक्टर राधाकांत वत्स के अनुसार रामायण में ऐसा लिखा हुआ है कि माता सीता रावण और मंदोदरी की बेटी थी। अपनी मृत्यु के डर से रावण ने माता सीता को बचपन में ही छोड़ दिया था।
साधवी वेदवती ने दिया था श्राप
कहा जाता है कि रावण ने वेदवती नाम की एक साधवी का मान भंग करने का प्रयास किया था। जिस वजह से वेदवती ने आत्मरक्षा के लिए अपनी जान न्योछावर कर दी थी। क्रोधित वेदवती ने मरते-मरते रावण को श्राप दिया था।
वेदवती ने रावण को यह श्राप दिया था कि उसकी मृत्यु का कारण उसकी पुत्री बनेगी। इस वजह से जब रावण की पहली पुत्री का जन्म हुआ तो रावण ने श्राप के भय से उसे पानी में फिकवा दिया था।
आपको बता दें कि समुद्र की पत्नी माता वारुणी ने माता सीता को धरती मां को सौंप दिया। जिसके बाद मां सीता धरती के भीतर से मिथिला नरेश राजा जनक को मिली। माता सीता का विवाह श्रीराम से हुआ। जब श्री राम 14 वर्ष की वनवास पर गए तो मां सीता भी उनके साथ गई थी। वनवास के समय रावण ने माता सीता का हरण कर लिया था।
बेटी के कारण हुआ रावण का अंत
राम ने रावण का वध किया और माता सीता को वापस ले आए। अपनी पुत्री के रूप पर मोहित होने के अपराध की वजह से ही रावण का अंत हुआ और वेदवती का श्राप पूर्ण हुआ।
जैन रामायण में लिखी है यह बात
आपको बता दें वाल्मीकि रामायण में माता सीता को जनक की पुत्री बताया गया है। मगर जैन रामायण के अनुसार रावण ही मां सीता के पिता हैं।